नई दिल्ली, 17 नवम्बर - सोमवार दोपहर सुप्रीम कोर्ट के चैंबर में एक असामान्य दृश्य देखने को मिला, जब रामेश्वर और अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा हरियाणा राज्य के खिलाफ दायर दर्जनों अवमानना मामलों को एक साथ सूचीबद्ध किया गया। इन मामलों पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति मनमोहन ने कई याचिकाएँ वापस लेने की अनुमति दी और बाकी में लंबित त्रुटियाँ दूर करने के लिए अंतिम मौका देते हुए एक स्पष्ट समयसीमा तय कर दी।
पृष्ठभूमि
ये याचिकाएँ-जिनके डायरी नंबरों की सूची बेहद लंबी थी-इस शिकायत से जुड़ी थीं कि राज्य ने पहले पारित कुछ आदेशों का पालन नहीं किया। हालांकि, जब सुनवाई शुरू हुई, कई याचिकाकर्ता पीछे हटने के लिए तैयार नज़र आए। उनके वकील, जो अलग-अलग याचिकाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, अदालत को सूचित करते दिखे कि वे अब इन याचिकाओं को आगे नहीं बढ़ाना चाहते।
Read also:- समझौते के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सलेम के दो आरोपियों की सजा घटाई, 2016 हमले के मामले में तुरंत रिहाई का आदेश
बाहर से देखने पर यह एक साधारण प्रक्रिया संबंधी सुनवाई लग रही थी, लेकिन भीतर माहौल थोड़ा असहज था। वकील फाइलें उलट-पलट कर रहे थे, कुछ धीरे से स्पष्टीकरण देते हुए दिखाई दिए, जबकि न्यायमूर्ति मनमोहन लंबी सूची को देख रहे थे। अदालत ने साफ संकेत दे दिया कि यदि याचिकाकर्ता वापस लेना चाहते हैं, तो अदालत इसमें कोई अड़चन नहीं डालेगी।
अदालत की टिप्पणियाँ
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने वकीलों से शांत स्वर में कहा, “यदि आप वापसी चाहते हैं, तो अनुमति प्रदान कर दी जाएगी,” मानो यह संकेत देते हुए कि अदालत एक जैसे कई मामलों से उत्पन्न बोझ कम करना चाहती है।
जैसे ही वापसी के अनुरोध पुष्ट हुए, अदालत ने उन्हें बिना किसी अतिरिक्त टिप्पणी के रिकॉर्ड कर लिया। बाकी याचिकाओं को लेकर न्यायाधीश ने लंबित त्रुटियों पर चिंता भी जताई।
Read also:- इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राहुल गांधी की MP पात्रता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की, कहा
अदालत का सार यह था-“त्रुटियाँ अनिश्चितकाल तक लंबित नहीं रह सकतीं।” अदालत ने याद दिलाया कि दोषपूर्ण फाइलिंग न केवल न्याय में देरी करती हैं, बल्कि रजिस्ट्री का बोझ भी बढ़ाती हैं, जो पहले ही हजारों मामलों को संभालती है। यह फटकार नहीं थी, बल्कि एक शांत संकेत जैसा था कि अब और देरी नहीं चलेगी।
निर्णय
इसके बाद न्यायमूर्ति मनमोहन का आदेश संक्षिप्त और स्पष्ट था। अदालत ने पहले 11 डायरी मामलों-35723/2025, 42767/2025, 42998/2025, 42243/2025, 42857/2025, 41572/2025, 43096/2025, 42993/2025, 41935/2025, 42877/2025, और 42415/2025-को याचिकाकर्ताओं के अनुरोध पर वापस लेने की अनुमति दी। आदेश में लिखा गया: “अनुमति दी जाती है। वर्तमान मामले वापस लेने के आधार पर खारिज किए जाते हैं।”
Read also:- बुलंदशहर फायरिंग मामले में नए सबूत सामने आने पर सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश रद्द किया
बाकी सभी याचिकाओं के लिए अदालत ने एक सख्त निर्देश दिया:
सभी लंबित त्रुटियाँ दूर करने के लिए छह सप्ताह का समय।
यदि याचिकाकर्ता इस अवधि में तकनीकी या प्रक्रिया संबंधी त्रुटियाँ दूर नहीं करते, तो ये याचिकाएँ “बिना किसी और संदर्भ के स्वतः खारिज” मानी जाएँगी। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि त्रुटियाँ दूर होने पर मामलों को नियमों के अनुसार जज-इन-चैंबर या उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।
इस प्रकार सुनवाई शांति से समाप्त हो गई-न कोई लंबी बहस, न कोई नाटकीय क्षण-सिर्फ एक भीड़भाड़ वाली सूची को व्यवस्थित करने का सीधा कदम।
Case Title: Rameshwar vs. State of Haryana
Case Type: Contempt Petition (Civil)
Case No.: Diary No. 22079/2025 (with multiple connected diary matters)
Decision Date: 17 November 2025










