28 अक्टूबर 2025 को पारित एक विस्तृत आदेश में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर ने सिद्धी जिले की एक महिला नगरपालिका अध्यक्ष से जुड़े ब्लैकमेल और यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी अजीत पाल सिंह को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति देव नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने यह आदेश पारित करते हुए सिंह की तीसरी जमानत याचिका को स्वीकार किया, जो भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 483 के तहत दायर की गई थी।
पृष्ठभूमि
यह मामला कोतवाली थाना, सिद्धी में दर्ज एक एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धाराएं 64(1), 308(5), 296, और 351(3) के तहत अपराध दर्ज किया गया था। सिंह 13 जनवरी 2025 से न्यायिक हिरासत में थे।
इससे पहले उनकी दो जमानत याचिकाएं क्रमशः अप्रैल और सितंबर में वापस ली जा चुकी थीं। बचाव पक्ष के अनुसार, शिकायतकर्ता - जो एक शिक्षित महिला और वर्तमान नगरपालिका अध्यक्ष हैं - का आरोपी से प्रेम संबंध था। मामला तब बिगड़ा जब उनके पति को इस संबंध की जानकारी हुई और उन्होंने नवंबर 2024 में तलाक की अर्जी दायर की, जिसमें अजीत पाल सिंह को सह-प्रतिवादी बनाया गया था।
बचाव पक्ष के वकील आलोक वाग्रेचा ने दलील दी कि यह मामला व्यक्तिगत प्रतिशोध से प्रेरित है। उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता के पति ने बाद में तलाक की अर्जी छोड़ दी, जिसे अगस्त 2025 में ‘प्रॉसिक्यूशन में रुचि न लेने’ के कारण खारिज कर दिया गया। “एफआईआर पति के दबाव में दर्ज की गई,” वाग्रेचा ने कहा, और इसके समर्थन में कॉल रिकॉर्डिंग व अन्य दस्तावेज़ सीलबंद लिफाफे में कोर्ट के समक्ष पेश किए।
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अदालत की टिप्पणियां
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे को पहले से जानते थे और उनके बीच निकट संबंध थे। अदालत ने यह भी नोट किया कि बचाव पक्ष ने ऐसा कोई प्रमाण नहीं दिया जिससे यह साबित हो कि आरोपी ने जबरन पैसे वसूले। गवाह रामदुलारे चतुर्वेदी के बयान में जिन पैसों का उल्लेख था, वह वास्तव में आरोपी के एक रिश्तेदार से लिए गए कर्ज का मामला बताया गया।
दूसरी ओर, अभियोजन पक्ष ने जमानत का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि आरोपी के मोबाइल से महिला के कुछ अश्लील फोटो और वीडियो बरामद हुए हैं, जिन्हें ब्लैकमेल के लिए इस्तेमाल किया गया। राज्य की ओर से यह भी कहा गया कि आरोपी का आपराधिक इतिहास रहा है - वह पहले एक सरकारी कर्मचारी पर हमले के मामले में दोषी ठहराया जा चुका है, और एक बलात्कार मामले में बरी होने के बावजूद उसकी अपील हाईकोर्ट में लंबित है।
हालांकि, अदालत ने माना कि इन सभी पहलुओं की पूरी जांच ट्रायल के दौरान ही हो सकती है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, “रिकॉर्ड में प्रस्तुत तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे से भलीभांति परिचित थे।” अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आदेश मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं करता।
निर्णय
अदालत ने जमानत याचिका स्वीकार करते हुए अजीत पाल सिंह को ₹50,000 के निजी मुचलके और उतनी ही राशि की एक जमानती के साथ रिहा करने का निर्देश दिया। अदालत ने कुछ शर्तें भी लगाईं - आरोपी पीड़िता, उसके परिवार या किसी गवाह को किसी भी प्रकार से धमकाए या प्रभावित न करे, हर सुनवाई पर स्वयं अदालत में उपस्थित रहे, और भविष्य में कोई अपराध दोहराए नहीं।
न्यायालय ने यह भी चेतावनी दी कि यदि एक वर्ष के भीतर आरोपी पर किसी गंभीर अपराध का मामला दर्ज होता है, तो यह जमानत आदेश “स्वतः प्रभावहीन हो जाएगा” और निचली अदालत उसे दोबारा हिरासत में लेने के लिए स्वतंत्र होगी।
अदालत ने आगे कहा कि आरोपी को BNSS की धारा 480(3) के प्रावधानों का पालन करना होगा। आदेश के अंत में न्यायमूर्ति ने कहा, “तदनुसार, यह आपराधिक आवेदन निस्तारित किया जाता है।”
Case Title: Ajeet Pal Singh vs State of Madhya Pradesh
Court: High Court of Madhya Pradesh, Jabalpur Bench
Judge: Hon’ble Justice Devnarayan Mishra
Case Number: Misc. Criminal Case No. 44293 of 2025
Date of Order: 28 October 2025










