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केरल हाई कोर्ट ने बढ़ते सड़क सुरक्षा उल्लंघनों पर जताई सख्ती, बसों-ट्रकों में व्लॉगर शूटिंग और LED मॉडिफिकेशन पर उठाए गंभीर सवाल

Vivek G.

स्वप्रेरणा बनाम भारत संघ और अन्य, केरल हाई कोर्ट ने LED लाइट, अवैध स्ट्रोब, हूटर और व्लॉगर शूटिंग पर चिंता जताते हुए परिवहन व पुलिस विभाग से त्वरित कार्रवाई की मांग की।

केरल हाई कोर्ट ने बढ़ते सड़क सुरक्षा उल्लंघनों पर जताई सख्ती, बसों-ट्रकों में व्लॉगर शूटिंग और LED मॉडिफिकेशन पर उठाए गंभीर सवाल

एर्नाकुलम स्थित केरल हाई कोर्ट में बुधवार को भीड़भाड़ वाली कार्यवाही के दौरान सड़क सुरक्षा से जुड़े बढ़ते उल्लंघनों पर गहरी चिंता जताई गई। खासकर वाहन चालकों द्वारा चकाचौंध पैदा करने वाली LED हेडलाइट्स, रेड-ब्लू स्ट्रोब लाइट्स, हूटर और बसों के अंदर अनधिकृत मॉडिफिकेशन को लेकर अदालत ने कड़ा रुख दिखाया। अदालत ने यह भी दर्ज किया कि कई व्लॉगर बिना रोक-टोक चलती बसों और ट्रकों के ड्राइवर केबिन में वीडियो रिकॉर्ड कर रहे हैं-जिसे जजों ने पिछले कई महीनों से “पूरी तरह अनियंत्रित” बताया।

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Background (पृष्ठभूमि)

यह मामला कई महीनों से अदालत के सामने लंबित है, जिसकी शुरुआत एक सुओ मोटो कार्यवाही से हुई थी। इसका उद्देश्य मोटर वाहन सुरक्षा मानकों-AIS-008 (लाइटिंग आवश्यकताएँ) और AIS-052 (बस बॉडी डिज़ाइन)-का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना है। बुधवार को केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने 5 नवंबर के निर्देशानुसार सभी संशोधित कोड और दस्तावेज प्रस्तुत किए।

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इस याचिका का एक मुख्य आधार सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला S. Rajaseekaran v. Union of India (2025) है, जिसमें हाई-इंटेंसिटी हेडलाइट्स और रेड-ब्लू लाइट्स के खतरे विस्तार से बताए गए थे। केरल हाई कोर्ट ने इस फैसले के पैरा 33, 34 और 35.15 का हवाला देते हुए याद दिलाया कि ऐसी रोशनी “अस्थायी दृश्य भ्रम” पैदा करती है और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ाती है।

Court’s Observations (अदालत की टिप्पणियाँ)

सुनवाई के दौरान जस्टिस अनिल के. नरेंद्रन और जस्टिस मुरली कृष्ण एस. की खंडपीठ ने अनुबंधित बसों (कांट्रैक्ट कैरिज) में बढ़ती मॉडिफिकेशन-जैसे DJ लाइट्स, लेज़र लाइट्स, मल्टी-कलर LED सेटअप और हाई-पावर म्यूज़िक सिस्टम-पर कड़ी नाराजगी जताई।

अदालत ने चिंता व्यक्त की कि कई बसें और ट्रक व्लॉगर्स को ड्राइवर केबिन में बैठकर लाइव वीडियो बनाने की अनुमति देते हैं। “पीठ ने टिप्पणी की, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि सुरक्षा मानकों का खुला उल्लंघन हो रहा है, और इन उल्लंघनों को सोशल मीडिया पर गर्व से प्रदर्शित किया जा रहा है।’

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जज इस बात से और अधिक परेशान दिखे कि कई बसों में लगेज कंपार्टमेंट के अंदर अतिरिक्त बैटरी, इन्वर्टर और पावर यूनिट लगाए गए हैं। यह AIS-052 मानकों के विपरीत है और लंबी यात्राओं के दौरान गंभीर खतरा पैदा करता है।

अदालत ने यह भी कहा कि ये घटनाएँ “कदाचित नहीं” बल्कि आम हो चुकी हैं। फैसले में कहा गया कि “ऐसे वाहनों का सार्वजनिक सड़कों पर खुलेआम उपयोग सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए प्रमोशनल वीडियो से स्पष्ट है।”

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने याद दिलाया कि शीर्ष अदालत ने रेड-ब्लू स्ट्रोब लाइट्स और अवैध हूटर पर “पूर्ण प्रतिबंध” का आदेश दिया था और परिवहन विभागों को प्रदूषण और फिटनेस टेस्ट के दौरान कड़ी जांच करने को कहा था।

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Decision (निर्णय)

इस चरण पर हाई कोर्ट ने अंतिम आदेश नहीं दिया, लेकिन राज्य के स्पेशल गवर्नमेंट प्लीडर को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि-

  • ड्राइवर केबिन में चलती गाड़ी के दौरान व्लॉगरों द्वारा शूटिंग रोकने
  • और अनुबंधित बसों, स्टेज कैरिज और भारी मालवाहक वाहनों द्वारा AIS-008 और AIS-052 मानकों के उल्लंघन रोकने

के लिए परिवहन आयुक्त और पुलिस प्रमुख ने अब तक क्या कदम उठाए हैं, इसकी स्पष्ट जानकारी अदालत के समक्ष प्रस्तुत की जाए।

अगली सुनवाई 21 नवंबर 2025 को होगी, जिसमें अदालत संबंधित अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट की अपेक्षा कर रही है। इसी निर्देश के साथ दिन की कार्यवाही समाप्त हुई।

Case Title: Suo Motu vs Union of India & Others (WP(C) Nos. 25158 & 25129 of 2024)

Court: Kerala High Court, Ernakulam Bench.

Bench: Justice Anil K. Narendran and Justice Muralee Krishna S.

Next Hearing: 21 November 2025

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